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शुक्र & गुरु दशा कवच
शुक्र & गुरु दशा कवच
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ब्रेसलेट बहुत ही प्रभावशाली और संतुलित ऊर्जा से भरपूर है, जिसमें निम्नलिखित रत्न व रुद्राक्ष शामिल हैं:
🔴 5 मुखी रुद्राक्ष
🔮 ओपल लाइट (Opalite/White Opal)
⚪ सेलेनाइट (Selenite)
🟡 सिट्रीन (Citrine)
🌸 रोज़ क्वार्ट्ज (Rose Quartz)
⚪ हाउलाइट (Howlite)
🔷 टर्कॉइज़ (Turquoise/Firoza)
यह विशेष रूप से शुक्र ग्रह (Venus) और गुरु ग्रह (Jupiter) की दशा, महादशा या दोष से प्रभावित लोगों के लिए बनाया गया है।
🌟 ब्रेसलेट के लाभ
🔸 5 मुखी रुद्राक्ष
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मन की शांति और आध्यात्मिक उन्नति।
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पंच तत्वों में संतुलन लाता है।
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नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है।
🔸 Opalite
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शुक्र ग्रह को मजबूत करता है।
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प्रेम, आकर्षण, वैवाहिक जीवन में सुधार।
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सौंदर्य, कला, रचनात्मकता को बढ़ाता है।
🔸 Selenite
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ऑटो-क्लीनसिंग स्टोन – अन्य सभी क्रिस्टल्स को भी शुद्ध रखता है।
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मानसिक स्पष्टता और दिव्य ऊर्जा से जुड़ाव।
🔸 Citrine
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गुरु ग्रह को मजबूत करता है।
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धन, करियर, आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति में वृद्धि।
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सौरप्लेक्सस चक्र को एक्टिव करता है।
🔸 Rose Quartz
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प्रेम, आत्म-स्वीकृति और भावनात्मक उपचार।
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दिल के चक्र (Heart Chakra) को संतुलित करता है।
🔸 Howlite
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तनाव और गुस्से को शांत करता है।
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नींद में सुधार और मानसिक शांति।
🔸 Turquoise (फिरोज़ा)
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बुरी नजर और नकारात्मकता से सुरक्षा।
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गले के चक्र (Throat Chakra) को मजबूत करता है।
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संचार में सुधार।
👤 कौन पहन सकता है?
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जिनकी शुक्र या गुरु महादशा/अंतरदशा चल रही हो।
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वैवाहिक समस्याएं, संतान सुख में बाधा, प्रेम संबंधों में तनाव।
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जिनका विवाह रुक रहा हो या रिश्ते बिगड़ रहे हों।
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कलाकार, व्यापारी, शिक्षक, आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले।
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जिनका धन हानि, भाग्य रुकावट, आत्मविश्वास की कमी हो।
🕉️ धारण विधि
📅 शुभ दिन
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गुरुवार (गुरु के लिए)
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शुक्रवार (शुक्र के लिए)
🕒 समय:
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सुबह स्नान के बाद, पूजा करके।
📿 विधि:
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ब्रेसलेट को गंगाजल या दूध से शुद्ध करें।
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पीले/सफेद कपड़े पर रखें।
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दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी का ध्यान करें।
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नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करें:
🕉️ मंत्र जाप (Mantras):
गुरु के लिए:
🔸 "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" — 108 बार
🔸 या
🔸 "देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसंनिभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥"
शुक्र के लिए:
🔸 "ॐ शुं शुक्राय नमः" — 108 बार
🔸 या
🔸 "हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणम्यहम्॥"
✅ विशेष निर्देश:
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पुरुष इसे दाहिने हाथ में, महिलाएं बाएं हाथ में पहनें।
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इसे रोज़ पहन सकते हैं, विशेष रूप से पूजा, ध्यान या किसी शुभ कार्य के समय।
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इसे सोते समय भी पहना जा सकता है, लेकिन ध्यान में पहनना ज्यादा लाभकारी।
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