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Natural सुलेमानी हकीक _ शुद्ध चांदी
Natural सुलेमानी हकीक _ शुद्ध चांदी
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सुलेमानी हकीक (Sulemani Hakik) की अंगूठी को पहनना ज्योतिष, रत्न चिकित्सा और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह एक शक्तिशाली रत्न है जो व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालता है।
🌟 सुलेमानी हकीक अंगूठी पहनने के फायदे
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नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा:
यह बुरी नजर, तंत्र-मंत्र, और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा करता है। -
मानसिक शांति और स्थिरता
तनाव, चिंता, डिप्रेशन और अनिद्रा जैसी मानसिक समस्याओं में राहत देता है। -
एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ाता है
विद्यार्थियों, प्रतियोगी परीक्षार्थियों और मानसिक कार्यों में लगे लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है। -
आत्मिक और आध्यात्मिक विकास
ध्यान, साधना और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वालों के लिए यह एक ऊर्जा-वर्धक रत्न है। -
स्वास्थ्य संबंधी लाभ
यह रक्तसंचार में सुधार करता है और हार्मोन संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। -
वाणी और निर्णय क्षमता में सुधार
वक्ताओं, नेताओं, व्यापारियों और न्यायाधीशों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। -
क्रोध पर नियंत्रण
गुस्से को शांत करता है और व्यवहार को सौम्य बनाता है।
👤 कौन पहन सकता है?
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जिनकी कुंडली में राहु, शनि या केतु अशुभ स्थिति में हों।
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जिनके जीवन में बार-बार बुरी नजर, बाधाएं, या मानसिक परेशानी आ रही हो।
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जो तांत्रिक प्रभाव, बुरे स्वप्न या डर से ग्रस्त हों।
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विद्यार्थी, व्यापारी, आध्यात्मिक साधक, ज्योतिषी, वक्ता आदि।
🔩 किस धातु में पहनना चाहिए?
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चाँदी (Silver) – सबसे श्रेष्ठ और प्रभावकारी मानी जाती है।
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वैकल्पिक रूप से आप इसे पंचधातु या अष्टधातु में भी बनवा सकते हैं।
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अगर किसी विशेष ग्रह दोष के लिए धारण कर रहे हों तो ज्योतिषाचार्य की सलाह से धातु चुनी जाए।
🧿 धारण करने की विधि
📅 शुभ दिन
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शनिवार या मंगलवार को पहनना श्रेष्ठ माना गया है।
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कृष्ण पक्ष के किसी शनिवार को पहनना विशेष लाभकारी होता है।
🕖 शुभ समय
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प्रातः 6 बजे से 7:30 बजे तक (सूर्योदय के समय)
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अथवा संध्या समय सूरज ढलने के बाद।
🔮 विधि
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अंगूठी को एक कटोरी में रखें जिसमें कच्चा दूध, शुद्ध जल, गंगाजल, शहद और तुलसी के पत्ते हों।
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इसे 15–20 मिनट तक ऐसे ही रहने दें।
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फिर उसे साफ जल से धोकर भगवान शिव या अपने इष्ट देवता के समक्ष रखें।
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एक धूप या दीप जलाकर, नीचे दिए गए मंत्र का 108 बार जाप करें:
🕉️ ॐ राहवे नमः
या
🕉️ ॐ केतवे नमः
या
🕉️ ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भैरवाय नमः -
अब इसे दाएं हाथ की मध्यमा (मिडल फिंगर) या छोटी अंगुली (लिटिल फिंगर) में पहनें।
📌 सावधानियाँ
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अंगूठी हमेशा शुद्धता और श्रद्धा के साथ पहनी जानी चाहिए।
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पहनने के बाद नियमित रूप से इसे साफ करें और धूप-दीप दिखाएं।
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इसे किसी को उधार न दें या आदान-प्रदान न करें।
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