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Astrocrystal

Sphatic Pendant

Sphatic Pendant

Regular price Rs. 950.00
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स्फटिक (Sphatik) या क्वार्ट्ज क्रिस्टल

एक अत्यंत पवित्र और ऊर्जावान रत्न माना जाता है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभों के लिए किया जाता रहा है। नीचे स्फटिक पहनने के संपूर्ण लाभ, पात्रता, धातु और धारण विधि का विस्तार से वर्णन किया गया है:


स्फटिक पहनने के फायदे

  1. मन की शांति
    स्फटिक तनाव, क्रोध, चिंता और बेचैनी को शांत करता है। मानसिक शांति प्रदान करता है।

  2. एकाग्रता में वृद्धि
    पढ़ाई करने वाले छात्रों और मानसिक कार्य करने वालों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है। यह दिमाग को शांत कर एकाग्रता बढ़ाता है।

  3. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
    यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता का संचार करता है। घर या शरीर के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाता है।

  4. ध्यान और साधना में सहायक
    योगी, साधक, और ध्यान करने वाले लोग इसे ध्यान की गहराई बढ़ाने के लिए पहनते हैं।

  5. स्वास्थ्य लाभ
    सिरदर्द, ब्लड प्रेशर, और हृदय संबंधित समस्याओं में लाभकारी माना गया है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

  6. आकर्षण और सौंदर्य में वृद्धि
    स्फटिक पहनने से चेहरे पर चमक आती है, और व्यक्ति अधिक आकर्षक दिखता है।

  7. वास्तु दोष निवारण
    घर या ऑफिस में स्फटिक शिवलिंग या माला रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।


👤 किसे पहनना चाहिए

  • जिनका मन अस्थिर रहता है

  • जो मानसिक तनाव, क्रोध या चिंता से ग्रस्त हैं

  • विद्यार्थी, साधक, योगी, और मेडिटेशन करने वाले

  • जिनकी कुंडली में राहु, केतु या शनि की दशा/महादशा हो

  • जिन्हें जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मकता चाहिए

किसी भी राशि वाला व्यक्ति स्फटिक धारण कर सकता है, क्योंकि यह एक सर्व-राशि अनुकूल रत्न है।


🔩 किस धातु में पहनना चाहिए

  • चांदी (Silver) – सर्वोत्तम मानी जाती है

  • पंचधातु (5 धातुओं का मिश्रण) भी उपयुक्त है

  • सफेद रेशमी धागे में भी इसे पहना जा सकता है (विशेषकर स्फटिक माला)


🙏 धारण करने की विधि 

  1. धारण करने का शुभ दिन
    सोमवार, शुक्रवार या पूर्णिमा का दिन सबसे उत्तम है।

  2. समय
    सुबह स्नान करके शुद्ध होकर, पूजा के बाद धारण करें।

  3. स्फटिक को शुद्ध करें
    स्फटिक को गाय के कच्चे दूध, गंगाजल, और केसर में मिलाकर धो लें।

    1. मंत्र जप:
      धारण करते समय यह मंत्र 108 बार जपें:


      || ॐ ऐं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ||

      या

      || ॐ नमः शिवाय ||
    2. धारण करें:
      इसे दाहिने हाथ की अनामिका (रिंग फिंगर) में अंगूठी के रूप में या गले में माला की तरह पहन सकते हैं।


  4. ⚠️ कुछ सावधानियाँ

    • स्फटिक धारण करते समय सात्त्विक आहार व विचार रखें।

    • नकारात्मकता, क्रोध, अपवित्रता से बचें।

    • रात में माला उतारकर सोना अच्छा रहता है (यदि भारी लगे)।

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